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BSE को लगा सबसे बड़ा झटका! BSE को चुकाने होंगे 165 करोड़, बाजार खुलते ही शेयर 18 प्रतिशत टुटा!!

BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को सोमवार के दिन बाजार खुलते ही बड़ा झटका लगा है। बीएसई शेयर में 18% बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इसका कारण बताया जा रहा है की बीएसई को SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की तरफ से 165 करोड़ की रेगुलेटरी फीस भरने की नोटिस आयी है, इसकी वजह से इसके शेयर में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सेबी ने लेटर में यह भी बताया है कि एक्सचेंज की ने वित्त वर्ष 2006-07 के लिए सेबी को जो फीस दी गई थी, वह पूरे वित्त वर्ष के बजाय एक तिमाही की दी गई थी। इसीलिए सेबी ने बीएसई को इतनी बड़ी फीस की नोटिस दी है।

BSE

BSE का शेयर क्यों गिर रहा है!

BSE ने ये सुनिश्चित किया है कि उसे मार्केट रेगुलेटर सेबी के आदेश का पालन करते हुए रेगुलेटरी फीस और ब्याज के साथ 165 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। इसका असर BSE Ltd के शेयर पर भी हुआ है, जिसकी वजह से बीएसई के शेयर में आज इतनी बड़ी गिरावट नजर देखने को मिली है। यह शेयर बाजार शुरु होते ही 19% तक टूटा गया, और 2,612.10 के निचले स्तर तक पहुंच गया है।

BSE को क्यों चुकाने होंगे ₹165 करोड़?

BSE को 26 अप्रैल के दिन मार्केट रेगुलेटर सेबी के द्वारा एक लेटर भेजा गया है। जिसमे बीएसई को ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की “नोशनल वैल्यू” से कैलकुलेट किए गए सालाना टर्नओवर के आधार पर सेबी ने अपनी रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने के लिए कहा गया है। और सेबी ने यह भुगतान ब्याज के साथ चुकाने को कहा है, यह भुगतान प्रीमियम वैल्यू और नोशनल वैल्यू का अंतर यानी ₹165 करोड़ है जो बीएसई के द्वारा सेबी को चुकाना है। इसमें कारोबारी साल 2007 से लेकर 2023 के बीच के लिए ₹69 करोड़ और कारोबारी साल 2024 के लिए ₹96 करोड़ भी शामिल है। बीएसई जैसे ही एक और प्लैटफॉर्म कंपनी MCX को भी ₹4.43 करोड़ चुकाने को कहा गया है।

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इसका कंपनी पर क्या होगा असर?

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म Jefferies ने अपनी एक रिपोर्ट निकाली थी तब उस रिपोर्ट में ने Jefferies ने कहा था कि कारोबारी साल 2025 और 2026 के लिए मुनाफे के अनुमान में डेरिवेटिव्स का हिस्सा करीब 40% तक रह सकता है। ऐसे में ऊंची फीस की वजह से प्रति शेयर आय (EPS) में 15% से 18% तक असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि डेरिवेटिव में वॉल्यूम ग्रोथ अनुमान से कही ज्यादा रहा है। ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी और प्रीमियम क्वॉलिटी में सुधार से EPS पर होने वाला असर कम हो सकता है।

इस भुगतान पर इंटरेस्ट रेट क्या है?

BSE को SECC रेगुलेशंस के रेगुलेशन 11(8) के अनुसार पिछली अवधियों के लिए डिफरेंशियल रेगुलेटरी फीस (USE की अगर कोई डिफरेंशियल रेगुलेटरी फीस हो तो उसे मिलाकर) के साथ लागू इंटरेस्ट का भुगतान, सेबी का लेटर मिलने की तारीख से एक महीने का समय दिया गया है। जिसकी वजह से को एक महीने अंदर ही ₹165 करोड़ भुगतान करना पड़ेगा। सेबी को भुगतान न किए गए फीस अमाउंट या देर से किए गए भुगतान या कम भुगतान की गई राशि पर विलंब के प्रत्येक महीने या उसके हिस्से के लिए 15 प्रतिशत/वर्ष का इंटरेस्ट रेट है।

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